(अस्तित्व)
ग़र तकरार ही न हो ,
तो प्यार भी न हो ,
ग़र पतझड़ ही न हो ,
तो बह़ार भी न हो ,
इस दुनिया में ,
कुछ गद्दार हैं ,
तभी अस्तित्व में ,
कुछ वफादार हैं ,
बहुते बेईमान हैं ,
कुछ इमांदार हैं ,
ग़र दुनिया में बुरे न हो ,
तो कैसे कहें फलां अच्छा है ,
ग़र दुनिया में झूठ न हो ,
तो कैसे कहें बयाँ सच्चा है ,
कैसे बोलें किसी विपक्ष में ,
जब उसके पक्ष का पता न हो ,
कौन करे मुआफ किसी को ,
जब किसी से कोई खता न हो ,
वो क्या राह दिखाएगा "कायत",
जिसे खुद का अता-पता न हो ,
ग़र तकरार ही न हो ,
तो प्यार भी न हो ,
ग़र पतझड़ ही न हो ,
तो बह़ार भी न हो ,
इस दुनिया में ,
कुछ गद्दार हैं ,
तभी अस्तित्व में ,
कुछ वफादार हैं ,
बहुते बेईमान हैं ,
कुछ इमांदार हैं ,
ग़र दुनिया में बुरे न हो ,
तो कैसे कहें फलां अच्छा है ,
ग़र दुनिया में झूठ न हो ,
तो कैसे कहें बयाँ सच्चा है ,
कैसे बोलें किसी विपक्ष में ,
जब उसके पक्ष का पता न हो ,
कौन करे मुआफ किसी को ,
जब किसी से कोई खता न हो ,
वो क्या राह दिखाएगा "कायत",
जिसे खुद का अता-पता न हो ,
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें