यादों के साये
हवा लहराई
घटा गहराई
कोयल की कूक
सुन कर थी
वो भी मुस्कुराई
मुस्कुराते देख उसे
बरबस ही
मेरे होंठों पर भी
थी मुस्कान
उभर आई
भूल गया
अब तो मैं
भी मुस्कुराना
वो तो किसी की
हो गई
और मैं
हो गया बेगाना
मेरी जिंदगी से
तो अब
लगता रूठ
गई है बहार
वो भी
तब तलक थी
जब तलक
पास था यार
अब न तो
हवा लहराती है
और न ही
घटा गहराती है
कोयल की कूक
भी अब तो
दिल को जलाती है
पहले था
खुद उसने सताया
अब हर वक्त
उसकी याद सताती है
अब हर वक्त
उसकी याद सताती है ............
कोयल को सुन रहा है
जवाब देंहटाएंउसको देख रहा है
मुस्कुरा रहा है
ऎसा करेगा तो
फिर कहेगा ही
कोई याद आ
रहा है !
बहुत सुंदर !